आज के समय में थायरॉइड की बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से सबसे आम समस्या है हाइपोथायरायडिज्म। अगर आप भी थकान, वजन बढ़ना, या ठंड लगना जैसी समस्याओं से परेशान हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि हाइपोथायरायडिज्म क्या है, इसके कारण, लक्षण, टीएसएच (TSH) का क्या रोल है, और इसका इलाज कैसे होता है।
हाइपोथायरायडिज्म क्या है?
हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) का निर्माण नहीं कर पाती। थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म (ऊर्जा बनाना), शरीर के तापमान, वजन, और दिल की गति जैसी महत्वपूर्ण क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
जब थायरॉइड हार्मोन कम हो जाते हैं, तो शरीर के कई अंग ठीक से काम नहीं करते और इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।
हाइपोथायरायडिज्म के कारण
- हाशिमोटो थायरॉइडिटिस (Hashimoto’s Thyroiditis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करती है।
आयोडीन की कमी: आयोडीन थायरॉइड हार्मोन बनाने के लिए जरूरी है। इसकी कमी से हार्मोन बनना कम हो जाता है।
थायरॉइड की सर्जरी या विकिरण उपचार: थायरॉइड निकालने या इलाज के बाद हार्मोन की कमी हो सकती है।
कुछ दवाइयाँ: कुछ दवाइयाँ थायरॉइड की क्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
जन्मजात समस्याएँ: जन्म से थायरॉइड की कमी हो सकती है।

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
लगातार थकान और कमजोरी
वजन बढ़ना बिना ज्यादा खाए
ठंड लगना और ठंडक सहना मुश्किल होना
त्वचा सूखी और खुरदरी होना
बाल झड़ना या पतले होना
कब्ज की समस्या
मानसिक कमजोरी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
मासिक धर्म में बदलाव
चेहरे और गले में सूजन
TSH क्या है और हाइपोथायरायडिज्म में इसका स्तर
TSH (थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) एक हार्मोन है जो हमारे मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्लैंड बनाती है। इसका काम थायरॉइड ग्रंथि को थायरॉइड हार्मोन बनाने के लिए संकेत देना होता है।
सामान्य TSH स्तर लगभग 0.4 से 4.0 माइक्रो यूनिट प्रति मिलिलीटर (µIU/mL) होता है।
हाइपोथायरायडिज्म में जब थायरॉइड हार्मोन (T3, T4) कम होते हैं, तो पिट्यूटरी ग्लैंड TSH का उत्पादन बढ़ा देती है ताकि थायरॉइड को ज्यादा हार्मोन बनाने का सिग्नल भेजा जा सके।
इसलिए हाइपोथायरायडिज्म में TSH का स्तर बढ़ा हुआ होता है।
डॉक्टर TSH का टेस्ट कराकर यह पता लगाते हैं कि थायरॉइड सही काम कर रहा है या नहीं और दवा की मात्रा तय करते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म का इलाज
हाइपोथायरायडिज्म का इलाज हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से किया जाता है। इसका मतलब है थायरॉइड हार्मोन की कमी को पूरी करने के लिए दवा (जैसे लेवोथायरॉक्सिन) दी जाती है।
यह दवा रोज़ाना एक निश्चित मात्रा में खाली पेट ली जाती है। दवा लेने के बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ भी खाने-पीने से बचना चाहिए ताकि दवा सही तरीके से काम करे।
इलाज के दौरान समय-समय पर TSH और थायरॉइड हार्मोन के स्तर की जांच होती रहती है ताकि दवा की खुराक को सही किया जा सके।
जीवनशैली में बदलाव
आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
हेल्दी और संतुलित आहार लें।
नियमित व्यायाम करें।
तनाव से बचें और पूरी नींद लें।
डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा लें और जांच करवाते रहें।
निष्कर्ष
हाइपोथायरायडिज्म एक आम लेकिन सही समय पर इलाज न होने पर गंभीर समस्या बन सकती है। यदि आप ऊपर बताये गए लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और थायरॉइड टेस्ट करवाएं।
समय पर इलाज और सही देखभाल से आप पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।